Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105–६४

और मैसेज, 'मेरी बर्थडे गर्ल क्या कर रही है? अभी तक सो रही हो क्या? मैंने दो बार कॉल किया था।" लेकिन इन आख़री के दो मैसेजेस पर डबल ब्लू टिक नहीं थी। जाहिर है, ज़ारा वे मैसेज कभी देख नहीं पाई

थी। मैंने उसका फोन उसे लौटा दिया।

'आई एम सॉरी.' मैंने कहा।

उसने सिर हिला दिया। "मैं उसे बहुत प्यार करता था।"

मैं रघु और जारा के रोमांस के बारे में इससे ज्यादा और कुछ नहीं सुनना चाहता था, इसलिए मैंने विषय "क्या सक्सेना के अलावा कोई ऐसा इंसान था, जिससे ज़ारा बहुत नफरत करती थी या जिसे वह पसंद नहीं

बदलना बेहतर समझा।

करती थी?'

"तुम तो जारा को जानते ही थे। वह बहुत पॉज़िटिव इंसान थी। वह हमेशा लोगों की अच्छाइयों

को

याद

रखती थी।"

"कोई भी नहीं?"

"हां, केवल सक्सेना ही। यह उससे बहुत नफरत करती थी। मैं भी "क्यों? क्योंकि उसने उसे छुट्टी नहीं दी इसलिए?'

करता हूँ।"

'नहीं, इससे कहीं ज्यादा। उसने जान-बूझकर उसकी थीसिस को एक साल तक लटकाकर रखा। और मेरे

ख्याल से मुझे तुमको अब बता देना चाहिए कि उसने जारा का इस्तेमाल करने की कोशिश भी की "क्या?" "हां, उसने कहा था कि अगर वो चाहे तो उसकी थीसिस जल्दी अप्रूव हो सकती है।"

थी।"

'डीन सक्सेना? सीरियसली?' मैंने कहा 'उसकी उम्र तो पैंतालीस साल की होगी।'

पैंतालीस नहीं अड़तालीस साला जारा कई सालों से उसे झेल रही थी। लेकिन उसकी मजबूरी यही थी कि उसकी फ़ाइनल पीएचडी थीसिस उसे ही अप्रूव करनी थी। '

“मैं तो विश्वास ही नहीं कर पा रहा हूं। जब हम कॉलेज में थे तो सक्सेना हमें पढ़ाता था। वो बहुत 'वर्कोहॉलिक था।'

'जब लोगों के पास किसी के नसीब का फ़ैसला करने की ताकत आ जाती है तो उनका एक दूसरा ही चेहरा

दिखाई देने लगता है।" "यह तो शॉकिंग है। जारा ने कभी इसकी शिकायत नहीं की?

"अपने पीएचडी गाइड से पंगा लेना आसान नहीं होता है। आपकी सालों की मेहनत मिट्टी में मिल सकती

है। आपका कैरियर भी तबाह हो सकता है। एक बार उसने फस्ट्रेशन में मुझे एक ईमेल लिखा था।

"ईमेल?" 'हो, कोई एक साल हो गया होगा। रुको, दिखाता हूँ। वह अपने फोन पर थोड़ी देर कुछ करता रहा, फिर बोला, 'अपना ईमेल चेक करो।"

मैंने रघु को लिखा जारा का वो ईमेल पढ़ा। उसके ब्योरे पढ़कर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। 'सिका

व्हॉट अ बास्टर्ड, मैंने कहा। ★ उस समय मुझे भी ठीक यही महसूस हुआ था. रघु ने कहा 'अगर जारा का कैरियर दांव पर नहीं लगा

होता तो मैं पर्सनली उसकी शिकायत करता।'

"कुछ और ऐसा है, जो तुम मुझे बताना चाहोगे?" मैंने कहा। "हाँ, तुम सिकंदर को जानते हो?"

'जारा का सौतेला भाई मैंने उसे कब्रिस्तान में देखा था।' "हां, वह कश्मीर में ग़लत किस्म के लोगों के साथ उठता बैठता है। जारा हमेशा उससे कहती थी कि वह यह

सब छोड़कर कोई अच्छी-सी नौकरी कर ले।' "किस तरह के गलत लोग?"

"यह तो वह मुझे नहीं बताती थी। तुम तो जानते ही हो, वह कैसी थी। आप कोई चीज़ बताने के लिए उस पर दबाव नहीं बना सकते थे। खासतौर पर उसके घर-परिवार से जुड़े मामलों में।'

   0
0 Comments